वह एक जंगल में गया
जो बाहर से बीहड़ था
अंदर से बेहद सुकुमार
वहां जगमगाती रोशनियां थीं,
रंग थे, फूलों वाली झाड़ियां थीं,
सम्मोहक तंद्रिल संगीत था
वह गया
कि उतरता चला गया
उसकी स्मृतियों में पीछे छूट चुके हम थे
जिनके बाल बिखरे थे
जिनके पैरों पर धूल जमी थी
जो कई-कई दिनों में नहाते थे
पलट कर उसने देखा नहीं
हम देखते रहे उसका जाना
एक बीहड़ में
खौफनाक जानवरों के बीच
हमें देख हिलाते हाथों की ऊर्जा उसकी नहीं थी।
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