फूल चुन रही थी वह जब एक नन्हा सा काँटा धंस गया था उसके हाथ पर. इसके सिरे पर एक बेहद खूबसूरत फूल था, सूरजमुखी के जैसा. उसे फूल इतना सुन्दर लगा कि वह उसे हि निहारती रही और भूल गई कि जिस जगह वह धन्सा है वहाँ उसे तकलीफ़ हो रही है ... उसे यह सोच कर और भी अच्छा लगता कि जब वह लिख रही होती थी उसके हाथ के ऊपर एक सुन्दर सा फूल सजा रहता था. दर्द था कि बढ्ता जाता था लेकिन मोह ऐसा था कि उसे निकालने ही न देता था. धीरे धीरे कांटे के आस पास का हाथ नीला पड़ने लगा लेकिन फूल का सौन्दर्य उसके रक्त से सींचे जाने के कारण बढ्ता ही जाता था. उसने सोचा कुछ दिन लिखने को रोका जा सकता है... फूल कहीं मुर्झा न जाए यह फिक्र उसे किसी भी दूसरी बात से ज्यादा परेशान रखने लगी. वह सोती तो हाथ को अलग से तकिये पर रख लेती. फूल का रंग पीले से नीला होने लगा था, लेकिन वह उसे हर तरह से और ज्यादा सुन्दर लगता... दोस्तों ने कहा, देखो अब बहुत हुआ इसे निकाल फेन्को वर्ना तकलीफ़ बहुत बढ़ जाएगा... लेकिन उसकी दीवानगी कहाँ कम होती थी... धीरे धीरे पूरा हाथ नीला पड गया.... फूल के चारो ओर मवाद भरने लगा.... और एक दिन फूल उसके बीच छुप गया.... अब वह उसके हाथ मे ज़हर फैला रहा था, लेकिन वह इस उम्मीद मे थी कि एक दिन फिर हाथ पर उसी जगह नया फूल उगेगा और यह सारी तकलीफ़ मिट जाएगी.... दोस्तों ने सोचा उसे मनोचिकित्सक के पास ले जाएँ या सर्जन के पास जो इस हाथ को उसकी देह से अलग करे ताकी वह फिर से सामान्य इन्सान की तरह जी सके... लेकिन अजीब जिद्दी थी वह लड़की .... आखिर एक दिन जहर सारे शरीर मे फैल गया... मृत्यु शैया पर उसने ख्वाहिश की मुझे उसी जगह दफन करना जहाँ से यह फूल मैने पाया.... दोस्तों ने उसकी इस आखिरी ख्वाहिश का भी ख्याल रखा ... जैसा कि वे जीवन भर उसके साथ् करते आए थे... लोगों ने देखा कि कुछ हि दिनो बाद उस जगह नीले सूरजमुखी के फूल उगे थे....
Devyani
4 टिप्पणियां:
उफ, गहरे निचोड़ गयी यह कहानी..
beautiful..
दिल से आह निकली ....
वाह भी....
और-और पढ़ना चाहूंगी आपको देवयानी.
अनु
wah ! bahut khoob
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