मंगलवार, 20 मार्च 2018

कवि की मृत्यु पर कोहराम

मृत्यु एक गरिमामय कर्म है 
एक सार्थक जीवन के बाद 
चुचाप उठ कर चल देना 
जिए गए जीवन के प्रति 
गहरी श्रद्धा 
ऐसी मृत्यु 
जिसे आप अपने मौन में 
जज़्ब करते हैं धीरे-धीरे 

मृत्यु कोई हादसा नहीं 
हत्या या असामयिक मृत्यु 
यहाँ मेरा सन्दर्भ नहीं 
एक भरपूर जीवन के बाद 
विदा की घड़ी 
जैसे दूर क्षितिज पर 
ढल रहा हो सूरज 
धीरे-धीरे 
जबकि दीप्त है पृथ्वी 
अब भी उसकी आभा में 

बिना शोर 
बिना कोहराम के 
चला गया एक कवि 
जैसे चले गए उसके पूर्ववर्ती 
जैसे चले जायेंगे अभी और भी कई 
अपने जाने के सही समय पर 

कवि की मृत्यु पर कोहराम 
शोक संदेशों और श्रद्धांजलियों की बाढ़ 
मृत्यु की गरिमा पर चोट सा पड़ता है 
वह जहाँ चला गया है 
वहां नहीं पहुंचेंगे तुम्हारे शोक सन्देश 
उसके पीछे 
इतना शोर मत मचाओ 
वह लिख रहा है 
अपनी अंतिम कविता 
उसके आस पास थोडा धीरे बोलो 
कुछ शोर कम मचाओ 

कोई टिप्पणी नहीं: