बदनाम लड़कियां
देर तक रहती हैं
लोगों की याद में
उनसे भी देर तक
याद रहते हैं उनके किस्से
बरसों बाद
बीच बाजार
दिख जाती है जब
अपनी बेटी का हाथ थामे
अतीत से निकल कर चली आती
ऐसी कोई लड़की
उसके आगे-आगे
चले आते हैं याद में
वे ही किस्से
और
ठिठक जाता है एक हाथ
पुरानी दोस्ती की याद में
उसकी ओर बढ़ने से
ठीक पहले
26.6.09
5 टिप्पणियां:
बहुत ही संवेदनशील कविता, मुझे नहीं लगता
आज तक किसी कवि ने इन बदनाम लड़किओं
के बारे में इतनी संवेदना और प्यार से सोचा
और लिखा हो.....आपके पास कहने के लिए
बहुत कुछ है.......दुआगो .....अमरजीत कौंके
welcome to the virtual!
अद्भुत शब्द संयोजन...कड़वा है पर सच है. लिखती रहें लगातार.
lovely poem, devyani. sudenly reminded me of the wonderful badnam ladkian i knew in school, college.
its the first time i'm reading your poem, i think you write very gently.
खूबसूरत . दूसरा शब्द नहीं लिखूंगा
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