मंगलवार, 17 जनवरी 2012

इस तरह मत टूटना

मुरझाना तो इस तरह जैसे
मुरझाते हैं अनार के फूल
एक नए फल को जन्म देते हुए
जो भरा हो असंख्य सुर्ख लाल रसीले दानों से

झरो तो इस तरह जैसे
झरते हैं हारसिंगार के फूल मुंह अन्धेरे
धरती पर बिछा देते हैं चादर
जिन्हें चुन लेती हूँ मैं
सुबह सुबह

टूटना तो इस तरह जैसे
टूटता है बीज
जब जन्म लेता हैं नया अंकुर
जीवन की सम्भावना लिए अपार

गिरना किसी झरने की तरह
सर सब्ज कर देना धरती

सूखे पत्ते की तरह मत झरना
इस तरह मत टूटना
जैसे टूटता है हृदय प्रेम में

5 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

टूटकर भी खुशबू फैलाना लिखा हो नसीब में..

Kewal Joshi ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति - धन्यवाद

Kewal Joshi ने कहा…

सुन्दर अभिव्यक्ति - धन्यवाद

vidya ने कहा…

बहुत सुन्दर....
मीठी सी अभिव्यक्ति...
शुभकामनाएँ.

Pradeep Kumar ने कहा…

वाह ! ये तो मौत में भी ज़िन्दगी का सन्देश है . आखिर हर रात भी तो यही सन्देश देती हिया कि उसके बाद फिर सवेरा होगा . बहुत खूब .