मुरझाते हैं अनार के फूल
एक नए फल को जन्म देते हुए
जो भरा हो असंख्य सुर्ख लाल रसीले दानों से
झरो तो इस तरह जैसे
झरते हैं हारसिंगार के फूल मुंह अन्धेरे
धरती पर बिछा देते हैं चादर
जिन्हें चुन लेती हूँ मैं
सुबह सुबह
टूटना तो इस तरह जैसे
टूटता है बीज
जब जन्म लेता हैं नया अंकुर
जीवन की सम्भावना लिए अपार
गिरना किसी झरने की तरह
सर सब्ज कर देना धरती
सूखे पत्ते की तरह मत झरना
इस तरह मत टूटना
जैसे टूटता है हृदय प्रेम में
5 टिप्पणियां:
टूटकर भी खुशबू फैलाना लिखा हो नसीब में..
सुन्दर अभिव्यक्ति - धन्यवाद
सुन्दर अभिव्यक्ति - धन्यवाद
बहुत सुन्दर....
मीठी सी अभिव्यक्ति...
शुभकामनाएँ.
वाह ! ये तो मौत में भी ज़िन्दगी का सन्देश है . आखिर हर रात भी तो यही सन्देश देती हिया कि उसके बाद फिर सवेरा होगा . बहुत खूब .
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