अच्छा ही है कि तुम नहीं हो
तुम्हारी याद तुम्हारे होने से कहीं ज्यादा गहरी है
तुम साथ् होते तो
तुम्हारी याद तुम्हारे होने से कहीं ज्यादा गहरी है
तुम साथ् होते तो
चीजें अच्छी ही होतीं
लेकिन
गर तुम नहीं हो साथ्
तब भी बेहतर ही होंगी बातें
कि दोगुनी ताकत
और कई गुणा हिम्मत, मेहनत
और प्यार के साथ्
बनाउंगी मैं उन्हें ऐसा
कि जान सको तुम
ठुकराया जिसे तुमने
खोने के लायक
नहीं था कुछ भी उसमें
5 टिप्पणियां:
स्मृतियाँ उतनी ही प्रभावी होती हैं..
कि जान सको तुम
ठुकराया जिसे तुमने
खोने के लायक
नहीं था कुछ भी उसमें
वाह ....यही है आत्मसम्मान
देवयानी ,कविता बहुत ही सरल शब्दों में और सहज प्रस्फुटित हुई है .....न होने के दुःख को रचनात्मक उरझा में बदलती है ,अपने गुणों का परिष्कार कर अस्मिता को नकारने वाले को कभी ...खोने का दुःख होने का अहसास होगा ....वाकई बहुत सुंदर और विशुद्ध प्रेम कविता ...जो प्रेम की शक्ति से उपजी है किसी निराशा से नहीं ...वाह !!!
Beautiful. Silent. Profound.
मुझे ले गयी ये पंक्तियाँ वहां जाना मैं जाना नहीं चाहता था :) ये स्त्री पुरुष दोनों के संदर्भ में मान के ही पढूं तो अच्छा
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