रात के अंधेरों में हम जुगनू पकड़ते थे बंद मुठ्ठी में जुगनू के साथ हाथ में आ जाता था रात का अँधेरा भी जुगनू मर्तबान में बंद लड़ते रहते अंधेरे से सुबह तक दम तोड़ देते थे
अँधेरा जमा होता गया कांच की दीवारों पर wah kya baat devyaniji jeevan ke sampurn pahluyon per aapne satya v sahaj kavyatmak tippani ki hai ... ant main yahi hota hai hamari arjit shiksha ka ,sanskaron ka ,sadachar ka gyan ka ...ki hume manan hi padta hai
अँधेरा जमा होता गया कांच की दीवारों पर wah kya baat devyaniji jeevan ke sampurn pahluyon per aapne satya v sahaj kavyatmak tippani ki hai ... ant main yahi hota hai hamari arjit shiksha ka ,sanskaron ka ,sadachar ka gyan ka ...ki hume manan hi padta hai
13 टिप्पणियां:
रचना सुंदर है मेरे विचार से जुगनू को ही आधार बनाकर एक साथ ऐसी छोटी 5-7 कविताएँ लिखी जानी चाहिए।
नफ़ीस !
एक अरसे की चुप्पी के बाद कहीं दिखाई दी हैं.
चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है.
वाह! बेहतरीन रचना. बधाई स्वीकारें.
लिखते रहिये, शुभकामनाएं.
---
महिलाओं के प्रति हो रही घरेलू हिंसा के खिलाफ [उल्टा तीर] आइये, इस कुरुती का समाधान निकालें!
छोटी किन्तु गम्भीर रचना दिव्यानी जी।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
bahut anoothi abhivakti,badhayee sweekar karen devyani ji.
शायद यही जुगनू की किस्मत होती है ...कुछ पल के प्रकाश की कीमत उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है!बहुत ही सुन्दर शब्द संयोजन,शुभकामनायें!!!!!!!
अँधेरा जमा होता गया
कांच की दीवारों पर
aur jaise ham bade hote jaate hain wo andhera hamper chhata rahta hai .
bahut khoob ! kya bhav hain ! man ko choo gaye,
हिंदी ब्लॉग लेखन के लिए स्वागत और शुभकामनायें
कृपया अन्य ब्लॉगों पर भी जाएँ और अपने सुन्दर
विचारों से अवगत कराएँ
jugnu ko din ke waqt parakhne kee zid kare
bachche hamare door ke chaalaak ho gaye
अँधेरा जमा होता गया
कांच की दीवारों पर
wah
kya baat
devyaniji
jeevan ke sampurn pahluyon per aapne satya v sahaj kavyatmak tippani ki hai ...
ant main yahi hota hai hamari arjit shiksha ka ,sanskaron ka ,sadachar ka gyan ka ...ki hume manan hi padta hai
अँधेरा जमा होता गया
कांच की दीवारों पर
अँधेरा जमा होता गया
कांच की दीवारों पर
wah
kya baat
devyaniji
jeevan ke sampurn pahluyon per aapne satya v sahaj kavyatmak tippani ki hai ...
ant main yahi hota hai hamari arjit shiksha ka ,sanskaron ka ,sadachar ka gyan ka ...ki hume manan hi padta hai
अँधेरा जमा होता गया
कांच की दीवारों पर
Good .
bahut achcha likha aapne
एक टिप्पणी भेजें