सोमवार, 2 नवंबर 2009

जुगनू

रात के अंधेरों में
हम जुगनू पकड़ते थे
बंद मुठ्ठी में जुगनू के साथ
हाथ में आ जाता था रात का अँधेरा भी
जुगनू मर्तबान में बंद
लड़ते रहते अंधेरे से
सुबह तक दम तोड़ देते थे

अँधेरा जमा होता गया
कांच की दीवारों पर

13 टिप्‍पणियां:

पूर्णिमा वर्मन ने कहा…

रचना सुंदर है मेरे विचार से जुगनू को ही आधार बनाकर एक साथ ऐसी छोटी 5-7 कविताएँ लिखी जानी चाहिए।

के सी ने कहा…

नफ़ीस !



एक अरसे की चुप्पी के बाद कहीं दिखाई दी हैं.

Amit K Sagar ने कहा…

चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है.
वाह! बेहतरीन रचना. बधाई स्वीकारें.
लिखते रहिये, शुभकामनाएं.
---
महिलाओं के प्रति हो रही घरेलू हिंसा के खिलाफ [उल्टा तीर] आइये, इस कुरुती का समाधान निकालें!

श्यामल सुमन ने कहा…

छोटी किन्तु गम्भीर रचना दिव्यानी जी।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com

डॉ. राधेश्याम शुक्ल ने कहा…

bahut anoothi abhivakti,badhayee sweekar karen devyani ji.

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

शायद यही जुगनू की किस्मत होती है ...कुछ पल के प्रकाश की कीमत उसे अपनी जान देकर चुकानी पड़ती है!बहुत ही सुन्दर शब्द संयोजन,शुभकामनायें!!!!!!!

Pradeep Kumar ने कहा…

अँधेरा जमा होता गया
कांच की दीवारों पर
aur jaise ham bade hote jaate hain wo andhera hamper chhata rahta hai .

bahut khoob ! kya bhav hain ! man ko choo gaye,

अजय कुमार ने कहा…

हिंदी ब्लॉग लेखन के लिए स्वागत और शुभकामनायें
कृपया अन्य ब्लॉगों पर भी जाएँ और अपने सुन्दर
विचारों से अवगत कराएँ

AAFAQ AHMED ने कहा…

jugnu ko din ke waqt parakhne kee zid kare
bachche hamare door ke chaalaak ho gaye

Unknown ने कहा…

अँधेरा जमा होता गया
कांच की दीवारों पर
wah
kya baat
devyaniji
jeevan ke sampurn pahluyon per aapne satya v sahaj kavyatmak tippani ki hai ...
ant main yahi hota hai hamari arjit shiksha ka ,sanskaron ka ,sadachar ka gyan ka ...ki hume manan hi padta hai

अँधेरा जमा होता गया
कांच की दीवारों पर

Unknown ने कहा…

अँधेरा जमा होता गया
कांच की दीवारों पर
wah
kya baat
devyaniji
jeevan ke sampurn pahluyon per aapne satya v sahaj kavyatmak tippani ki hai ...
ant main yahi hota hai hamari arjit shiksha ka ,sanskaron ka ,sadachar ka gyan ka ...ki hume manan hi padta hai

अँधेरा जमा होता गया
कांच की दीवारों पर

बेनामी ने कहा…

Good .

Asir Bharti ने कहा…

bahut achcha likha aapne